Pension revision: उत्तर प्रदेश सरकार ने पेंशनभोगियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, जिन मामलों में पारिवारिक पेंशनभोगियों का विवरण पहले से ही भाग-3 में उपलब्ध है, उनसे दोबारा भाग-3 मांगने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे पेंशनभोगियों को अनावश्यक परेशानी से बचा जा सकेगा।
पेंशनभोगी संगठनों की शिकायतें
पेंशनभोगी संगठनों ने यह शिकायत की थी कि भले ही भाग-3 में पारिवारिक पेंशनभोगियों का पूरा विवरण उपलब्ध है, फिर भी कोषागारों द्वारा विभागों से दोबारा भाग-3 मांगा जाता है। इसके अलावा, तहसीलदार से वेरिफिकेशन भी कराने की कार्यवाही की जाती है।
निर्देशों का उद्देश्य
इन शिकायतों को देखते हुए, 19 दिसंबर 2022 को आयोजित एक बैठक में निर्णय लिया गया था कि जिन मामलों में भाग-3 में संयुक्त फोटो, पारिवारिक पेंशनभोगी का नाम और हस्ताक्षर दर्ज हैं, उन मामलों में विभाग से दोबारा भाग-3 मांगने या तहसीलदार से वेरिफिकेशन कराने की जरूरत नहीं होगी।
कोषागारों को निर्देश
उत्तर प्रदेश राज्य कोषागार निदेशालय ने सभी मुख्य और वरिष्ठ कोषाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जहां भाग-3 में पारिवारिक पेंशनभोगी का विवरण उपलब्ध है, वहां दोबारा भाग-3 मांगने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार कार्यवाही करनी होगी ताकि पारिवारिक पेंशनभोगियों को अनावश्यक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
पेंशन संशोधन की समस्या
निदेशालय ने यह भी बताया है कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, बहुत सारे पेंशनभोगियों की पेंशन संशोधित नहीं की गई है। शासनादेशों के अनुसार, पेंशनभोगी के अंतिम वेतन का नॉशनल रूप से निर्धारण करके संशोधित पीपीओ जारी करना था, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में पेंशन संशोधन लंबित है।
सरकार की पहल
इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार पेंशनभोगियों की सुविधा को प्राथमिकता दे रही है। यह न केवल पेंशनभोगियों को अनावश्यक परेशानियों से बचाएगा, बल्कि प्रक्रिया को भी सरल बनाएगा। हालांकि, पेंशन संशोधन की समस्या को जल्द से जल्द हल करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।