The Old Pension Scheme : पुरानी पेंशन योजना (OPS) एक बार फिर भारत में गरमागरम चर्चा का विषय बन गई है। सरकारी कर्मचारी काफी समय से OPS को बहाल करने की मांग कर रहे हैं और यह आगामी राज्य चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभर सकता है।
हालिया बजट में ओपीएस का भाग्य
व्यापक उम्मीदों के विपरीत, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हालिया बजट भाषण में ओपीएस को संबोधित नहीं किया गया। इसके बजाय, उन्होंने केवल मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में सुधार का वादा किया। केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वर्तमान में ओपीएस को पुनर्जीवित करने के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
पुरानी पेंशन योजना की मुख्य विशेषताएं
ओपीएस ने कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन प्रदान की। इस योजना के तहत, सेवानिवृत्त लोगों को उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था। इसके अतिरिक्त, पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद भी परिवार के सदस्यों को पेंशन का भुगतान जारी रहा, जिससे यह कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक और महत्वपूर्ण लाभ बन गया।
ओपीएस से एनपीएस की ओर बदलाव
केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 2004 को OPS को बंद कर दिया और इसकी जगह NPS लागू कर दिया। जहाँ OPS में अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता था, वहीं NPS में मूल वेतन का लगभग 10% ही दिया जाता है। यह महत्वपूर्ण कटौती सरकारी कर्मचारियों के बीच विवाद का एक प्रमुख मुद्दा रही है।
विभिन्न कर्मचारी यूनियनें लगातार ओपीएस को बहाल करने की मांग कर रही हैं, उनका तर्क है कि सरकारी कर्मचारी देश की आर्थिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यूनियनें या तो ओपीएस को फिर से शुरू करने या मौजूदा एनपीएस में पर्याप्त संशोधन की मांग कर रही हैं।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में संभावित सुधार
हालांकि सरकार ने OPS को पुनर्जीवित करने की दिशा में कोई झुकाव नहीं दिखाया है, लेकिन वित्त मंत्री सीतारमण ने NPS में संभावित सुधारों का संकेत दिया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि सरकार NPS के तहत पेंशन राशि को 50% तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जो कर्मचारियों द्वारा उठाई गई कुछ चिंताओं को दूर कर सकता है।
बहस जारी रहने के साथ ही, पेंशन सुधार का मुद्दा देश भर के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। राज्य चुनावों के मद्देनजर, राजनीतिक दलों को इस महत्वपूर्ण मतदाता आधार से समर्थन हासिल करने के लिए इस मुद्दे को संबोधित करने की आवश्यकता हो सकती है। आने वाले महीनों में पेंशन योजनाओं के बारे में सरकार के फैसले लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं।